मोदी लहर में भी फहराई कांग्रेस की पताका, भू कानून को लेकर बुलंद की आवाज

केदारनाथ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने कैंडिडेट घोषित कर दिया है. कांग्रेस ने मनोज रावत पर फिर से भरोसा जताया है. मनोज रावत 2017 से 2022 तक केदारनाथ से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. मनोज रावत कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जिन्होंने मोदी लहर में भी जीत हासिल की थी. 2017 विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में कांग्रेस बुरी तरह हारी थी. इस दौर में केदारनाथ विधानसभा सीट से मनोज रावत ने बंपर जीत दर्ज की थी. मनोज रावत समसामयिक मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते हैं. वे हर मुद्दे पर मुखरता से बोलते हैं. मनोज रावत ने अपने करियर की शुरूआत एक पत्रकार के तौर पर शुरू की थी. जिसके बाद उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा. आइये आपको मनोज रावत से जुड़ी कुछ और जानकारियां देते हैं.

2016 में कांग्रेस में बड़ी बगावत हुई. इसके बाद शैलारानी रावत भाजपा में शामिल हुई. जिससे भाजपा ने तब आशा नौटियाल का टिकट काटकर शैलारानी रावत को केदारनाथ से कैंडिडेट बनाय. तब आशा नौटियाल निर्दलीय लड़ीं. इसका फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज रावत को मिला. उन्होंने पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी की सुनामी के बाबजूद यह सीट जीती थी.

मनोज रावत एक पॉलिटिशियन हैं. वे कांग्रेस नेता हैं. मनोज रावत ने साल 2017 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा. जिसमें मनोज रावत ने केदारनाथ से जीत दर्ज की थी.मनोज रावत की छवि एक साफ राजनेता की है. उत्तराखंड की राजनीति में मनोज रावत को कई घोटालों को उजागर करने के लिए जाना जाता है. ये काम उन्होंने एक पत्रकार के तौर पर किये थे.

इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गये थे. मनोज रावत भू कानून को लेकर भी जाने जाते हैं. साल 2018 में जब त्रिवेंद्र सरकार कानून में चेंज कर रही थी तब मनोज अकेले विधायक थे जिन्होंने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इसके बाद भी कई जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर मनोज रावत खुलकर बोलते रहे हैं. उनकी छवि एक जननेता के तौर पर है.

मनोज रावत केदारनाथ विधानसभा से जुड़े हुए हैं. यहां के मूल मुद्दों पर उनकी अच्छी पकड़ है. स्थानीय जनता के वे वाकिफ हैं. जिसके कारण उपचुनाव में उनकी दावेदारी कांग्रेस में आसान थी. इसके अलावा अपने कार्यकाल में किये गये विकासकार्य भी मनोज रावत की दावेदारी को पुख्ता करते हैं.

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