उत्तराखंड में छात्रसंघ चुनाव को लेकर ‘HIGH’ हुआ पारा, सड़कों पर उतरे स्टूडेंट्स, विरोध में फूंका पुतला

उत्तराखंड में राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में निरस्त हुए छात्रसंघ चुनाव के बाद विश्वविद्यालयों के छात्रों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. शनिवार को देहरादून के डीएवी कॉलेज और मसूरी एमपीजी कॉलेज के छात्रों ने कॉलेज गेट पर प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री के पुतले को आग के

देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह ने समाचारपत्रों में 25 अक्टूबर को राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की खबर को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल 2024 को एक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया था. इसमें छात्रसंघ चुनाव 30 सितंबर 2024 तक कराने का निर्देश दिया गया था. इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर चुनाव नहीं कराए और ना ही शासन से दिशा-निर्देश प्राप्त किए, जो लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है. इससे छात्रों की पढ़ाई में असर पड़ रहा है. जिसके बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.

मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के शासनादेश के आधार पर जनहित याचिका को निरस्त कर दिया.

हवाले किया. छात्रों में शिक्षा मंत्री के खिलाफ भारी आक्रोश देखा गया.

प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके लोकतांत्रिक हक को मार दिया है. विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अगर छात्र नेता नहीं होंगे तो शिक्षक व प्रबंधक छात्रों से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करेंगे. इतना ही नहीं, छात्रों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 4 नंवबर तक छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की मांग नहीं मानी जाती तो वह अनिश्चितकाल के लिए कॉलेज में तालाबंदी कर देंगे और पढ़ाई नहीं होने देंगे.

प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि भाजपा सरकार पर नौकरशाही हावी हो चुकी है. उन्होंने महाविद्यालयों के निजीकरण करने की साजिश रचने और छात्रसंघ को समाप्त कर छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पूर्व के दो वर्षों में भी छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के विपरीत नवंबर-दिसंबर में संपन्न हुए. इतना ही नहीं, छात्रों ने कहा कि बीजेपी को इस बार उपचुनाव और निकाय चुनाव में हार का डर सता रहा है. इस कारण सरकार छात्र संघ चुनावों को करवाने से बच रही है.

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