उत्तराखंड में संस्था की जमीन को साजिशन बेचने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि संस्था के प्रबंधक और कुछ भू-माफियाओं की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर कीमती जमीन बेची गई। मामले के उजागर होते ही प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जमीन से जुड़े दाखिल-खारिज के आदेशों को निरस्त कर दिया है।
प्रशासनिक जांच में पाया गया कि संस्था की जमीन को निजी लाभ के लिए गलत तरीके से बेचा गया, जबकि इसके लिए न तो सक्षम प्राधिकारी की अनुमति ली गई और न ही नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई गई। शिकायत मिलने के बाद राजस्व विभाग और जिला प्रशासन ने रिकॉर्ड खंगाले, जिसमें कई अनियमितताएं सामने आईं।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि संस्था की संपत्ति को बेचने का अधिकार किसी व्यक्ति विशेष को नहीं है और इस तरह का कृत्य कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। मामले में दोषी पाए जाने वाले प्रबंधक और अन्य संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। साथ ही, भू-माफियाओं की भूमिका की भी गहन जांच की जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि सरकारी और संस्थागत जमीनों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस तरह के मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। जरूरत पड़ने पर पुलिस जांच भी कराई जाएगी।
इस कार्रवाई से जहां अवैध जमीन सौदों में लिप्त लोगों में खलबली मची है, वहीं आम लोगों में यह संदेश गया है कि प्रशासन अब ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाए हुए है।